दवाओं पर मुनाफाखोरी से बचने के लिए ट्रेड मार्जिन तय करने का प्रस्ताव
रोहित पाल
फार्मास्युटिकल्स विभाग (DoP) ने मुनाफाखोरी पर रोक लगाने के लिए निति आयोग को दवाइयों पर ट्रेड मार्जिन को उचित बनाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है।
DoP ने निति आयोग के साथ हुई एक बैठक में कहा कि सभी फार्मूलेशन और डोज़(मात्रा) पर ट्रेड मार्जिन 100% जाए और यह भी कह कि 2-5 रूपये की कम कीमत की दवाइयों को ट्रेड मार्जिन के दायरे से बहार रखा जाए। हालांकि नीति आयोग इस पर विचार कर रहा है और जल्द ही कोई निर्णय लिया जायेगा। गौरतलब है कि इन नियमों में बदलाव करने के लिए नीति आयोग को राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण नीति, 2012 में संशोधन करना होगा।
क्या है ट्रेड मार्जिन-
ट्रेड मार्जिन उस कीमत के बीच का अंतर हैं, जिस पर उत्पाद निर्माता/इम्पोर्टर्स के द्वारा थोक व्यापारियों को बेचा जाता है और उपभोकताओं को चार्ज की गई कीमत।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम का खुलासा न करने पर बताया कि, सरकार दवाओं की कीमतों में कमी करने के लिए ट्रेड मार्जिन के फॉर्मूले को लागु करने का फैसला कर लिया है। हम उस हर विकल्प पर विचार कर रहे जिनसे आम आदमी को लाभ होगा।
वहीं DoP के प्रस्ताव के अनुसार, 10600 गैर-अनुसूचित दवाओं पर 43 फीसदी ट्रेड मार्जिन लगा देना चाहिए जो कि बाजार में लगभग 11.31% की बिक्री करती हैं। वर्तमान में, भारत का दवा मूल्य नियामक -राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) अनुसूचित दवाओं की कीमत तय करता है और गैर-अनुसूचित दवाओं की कीमतों में प्रति वर्ष 10% तक की वृद्धि कर सकता है।
DoP ने आगे कहा कि ट्रेड मार्जिन को पूरे मार्केट में लागू कर देना चाहिए। DoP ने दावा किया कि आज के समय में ट्रेड मार्जिन 4000% तक होता है तो इसी के अनुसार हमें ट्रेड मार्जिन को 100% तक कर देना चाहिए और इस कदम से सालाना 2300 करोड़ की बचत होगी।
कुछ वशिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि ट्रेड मार्जिन को केवल पांच चिकित्सीय श्रेणियों पर लागू किया जाए, ये श्रेणियां संक्रामक-विरोधी, दर्द / दर्दनाशक, स्त्री रोग, जठरांत्र और श्वसन समूह हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पूरे मार्केट में ये नियम नहीं हैं। अगर इन श्रेणियों को जिसमे 3000 उत्पाद हैं ट्रेड मार्जिन को फिक्स किया जायेगा तो करोड़ो की बचत होगी।
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